यह बात सभी जानते हैं कि देश के हर राज्य में एक सीमा तक हिन्दी बोली और समझी जाती है, जो इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी को राष्ट्रीय संपर्क भाषा बनने में देर नहीं लगेगी, यदि इस दिशा में समर्पित होकर सार्थक प्रयास किया जाए। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिन्दी हमारी संस्कृति की पहचान एवं राष्ट्र का गौरव है, जो सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों को अपनाए हुए है। हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो सकती है। हमारा मानना है कि अन्य राष्ट्रीय मुद्दों की तरह हिन्दी भी पूरे राष्ट्र को जोड़ सकती है। हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा हिन्दी ही हो, ऐसी मान्यता हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अन्य देशभक्तों की भी रही है।
आप सभी अवगत हैं कि हमारे देश को आजाद हुए काफी लंबा समय बीत गया है। विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, उपक्रमों, स्वायत्त संस्थानों इत्यादि में हिन्दी अनुभाग हैं और वहां हिन्दी के पदाधिकारी भी तैनात हैं परंतु उसके बावजूद भी हमारे स्वाधीनता सेनानियों का सपना कि आजादी के बाद संघ की राजभाषा हिंदी होगी, अभी तक यथार्थ रूप में पूरा नहीं हुआ है। वास्तविकता तो यह है कि मंत्रालयों, विभागों, कार्यालयों आदि में अधिकांश रूप से अंग्रेजी में ही कार्य हो रहा है। संसद को भेजे जाने वाले कागजातों को छोड़कर शेष कार्य अंग्रेजी में ही होता है। संसद को भेजे जाने वाले ऐसे कागजात भी मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किए जाते हैं और बाद में उनका हिन्दी अनुवाद कराकर संसद को द्विभाषी रूप में भेजा जाता है। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए तथा हिन्दी प्रेमियों की भावनाओं को देखते हुए हमारा संगठन संकल्प के साथ अनुवाद के क्षेत्र में सामने आया और यह आज लगभग सभी मंत्रालयों, विभागों, उपक्रमों इत्यादि की अनुवाद सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
अब समय की मांग एवं लोगों की भावनाओं को मद्देनजर रखते हुए यह संगठन अनुवाद की भांति राजभाषा कार्यान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभाने के लिए दृढ-संकल्पित है, ताकि विभिन्न मंत्रालयों विभागों, बैकों, उपक्रमों, स्वायत्त संस्थानों, विश्वविद्यालयों इत्यादि में कार्यरत राजभाषा अधिकारियों को अनुवाद के साथ राजभाषा कार्यान्वयन में भी भारत सरकार की राजभाषा नीति, अनुवाद की समस्याओं, राजभाषा प्रबंधन, संसदीय राजभाषा समिति से संबंधित विभिन्न मामलों के संबंध में पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जा सके, जिससे उत्तरोतर रूप से पूरे भारत में हिन्दी का प्रचार-प्रसार सुनिश्चत एवं देश के हर क्षेत्र में राजभाषा से जुड़े अधिकारी पूरी तरह से अपने कार्य में पारंगत हो सकें। इससे पूरे देश में राजभाषा के प्रचार-प्रसार का वातावरण बनेगा। हिंदी में काम, राष्ट्र का सम्मान